Khuda aur Mohabbat season 3 ki puri kahani(ड्रामा सीरियल खुदा और मोहब्बत सीजन 3 की मुकम्मल कहानी?
(1).इस season का आगाज 21 फरवरी 2021 को हुआ था इस सीजन का लोगों ने काफी इंतजार किया खुदा और मोहब्बत ऐसा ड्रामा serial है जो कि अब तक पाकिस्तानी तारीख में सबसे Popular spritual romantic Pakistani series मैं से एक है जैसा कि आपको मालूम होगा कि इस season के आने से पहले भी इस ड्रामा सीरियल के दो और season आ चुके हैं लेकिन 'khuda aur Mohabbat season 3, के आने के बाद इस सीरियल ने तो पाकिस्तान के सभी ड्रामा सीरियल के रिकॉर्ड तोड़ दिए! इस ड्रामा सीरियल ने पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि अन्य देशों India. Bangladesh. Nepal.Turkey मैं भी अपनी काबिलियत के झंडे गाड़े है इस सीजन का एक एपिसोड हर शुक्रवार (जुम्मा) को 8:00 बजे 'har pal geo TV, पर प्रसारित किया जाता है और आज हम जानेंगे इस ड्रामे की मुकम्मल कहानी क्या होगी?
Khuda aur Mohabbat season 3
अभिनेता। फिरोज खान, इकरा अज़ीज,
निर्माता अब्दुल्ला कड़वानी, असद कुरेशी
उधम देश। पाकिस्तान,
लेखक। हाशिम नदीम
प्रसारण। जियो एंटरटेनमेंट शुक्रवार (जुम्मा) 8:00 बजे
गायक राहत फतेह अली खान (मन झूम झूम )
(2). जाने बहुत कुछ
शुरुआत के एपिसोड में आप देखते हैं की फरहाद (फिदी) कैसे अपने घर में रहता है अपने दोस्तों के साथ ज्यादा रहता है और कुछ काम भी नहीं करता है बड़ी ही लापरवाही से अपना जीवन जीता है यह देख कर फरहाद के अब्बा( father) को बहुत गुस्सा आता है और वो फरहाद (Firoz Khan) से गुस्से रहते हैं और वो फरहाद के लिए सेठ निसार (माही के ताया जी )के यहां काम की बात करते हैं सेठ निसार को अपनी बेटी रिदा की शादी के प्रोग्राम के लिए किसी की help की जरूरत होती है और वो फरहाद (फीदी) को अपने यहां काम पर रख लेते है
(3).फरहाद ( फीदी) और माही और मोहब्बत
सेठ निसार के यहां पहुंचकर फरहाद की मुलाकात माही( iqra Aziz) से होती है जहां दोनों में दोस्ती होती है और उनकी दोस्ती परवान चढ़ती है और फरहाद को माही से प्यार हो जाता है माही फरहाद से दोस्ती मज़ाक में करती है पर फरहाद के लिए वो दोस्ती मोहब्बत में बदल जाती है' और देखते ही देखते फरहाद माही को चाहने लगा !दिल्लगी अब दिल की लगी बन गई, इधर माही अपनी दोस्त (रीदा) की शादी के बाद अपने घर चली जाती है जब फरहाद को पता चलता है कि माही( iqra Aziz ) उसको बिना बताए अपने घर जा चुकी है तो फरहाद परेशान हो जाता है फरहाद माही से बात करने के लिए उसके घर (माही के शहर में) चला जाता है और बड़े शाह जी (माही के घर में) उनके यहां एक ड्राइवर के रूप में काम करता है
जब फरहाद को पता चलता है कि माही एक बहुत बड़े परिवार की और बहुत अमीर घर की लड़की है जहां उसका ( फरहाद) का उससे मिलना बहुत मुश्किल है और माही को पता चलता है की फरहाद उसका पीछा करते-करते उसके शहर तक आ गया माही की भाभी (साहिबा शाह) को इसके बारे में पहले से ही पता होता है माही की भाभी माही को फरहाद को जाने के लिए कहती है लेकिन फरहाद अपनी जिद पर अड़ा रहता है कि वो माही से अपनी मोहब्बत का इजहार करके जाएगा!
(4).माही और फरहाद की मुलाकात
जब बड़े शाहजी फरहाद को माही को कॉलेज तक (drive) छोड़ने के लिए कहते हैं तब फरहाद माही को गाड़ी में बैठा कर ले जाता है और माही उसे देख कर हैरान हो जाती है
फरहाद को देख कर माही उसे जाने को कहती है और कहती है कि अगर उसके भाई को जरा भी शक हुआ कि तुम किस नियत से यहां आए हो तो तुम्हारी लाश ही इस हवेली ( घर) से बाहर जाएगी!
लेकिन फरहाद माही को साफ-साफ कह देता है 'मौत से तो नहीं डरता में मगर तुम्हारी जुदाई से डरता हूं,, माही फरहाद को कहती है पागल मत बनो मुझ पर नहीं तो कम से कम खुद पर तो रहम खाओ! मैंने तुमसे दो चार हंस के क्या बात कर ली तुम तो मेरे गले ही पड़ गए! माही की ये बात सुनकर फरहाद को गुस्सा आ जाता है और फरहाद कहता है! जिसे तुम 4 दिन की दिल्लगी बोल रही हो वो मेरे लिए दिल की लगी बन चुकी है की मैं कोई driver नहीं हूं तुम्हारे लिए यहां काम कर रहा हूं! तुमने मजाक किया होगा मैंने तो मोहब्बत की है please एक बार कह दो कि तुम मुझसे मोहब्बत करती हो मैं सारे जमाने से लड़ जाऊंगा तुम्हारे लिए!
माही कहती है मोहब्बत वो भी तुमसे अभी मेरा इतना भी बुरा वक्त नहीं आया है फरहाद कि मैं तुमसे प्यार करूंगी ये दीवानगी है ( फरहाद )तो ठीक है अब मैं तब तक यहां से नहीं जाऊंगा जब तक मैं ठीक तरह से दीवाना नहीं हो जाता!
इसी दौरान तैमूर से माही का रिश्ता आता है जो माही की तरह ही बड़े खानदान से ताल्लुक रखता है जो मुल्तान के जमीदार है फरहाद को जैसे ही यह मालूम होता है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है वह माही जिसके लिए मैं अपना सब कुछ छोड़-छाड़ कर चला आया वो किसी और की होने जा रही है लेकिन जब ये रिश्ता आया तब तक माही के दिल में फरहाद के लिए जगह बन गई थी फिर भी माही फरहाद को लोट जाने के लिए कहती क्योंकि वो अपनी फैमिली को भी अच्छी तरह से जानती थी!
माही फरहाद को मिलने के लिए अपने घर के पुरानी library मैं बुलाती है और फरहाद माही से मिलने के लिए आता है और कहता है मुझे नहीं पता था कि इतना असर है मेरी दुआओं में और गलत हो या सही तुम आई तो हो मुझसे मिलने
माही कहती है तुम्हारी जिद थी ना कि मैं तुमसे खुद मिलकर तुम्हें यकीन दिलाओ कि मेरा रिश्ता मेरी मर्जी से हो रहा है और चंद दिनों में मेरी रुक्सती है और मैं किसी और की होने जा रही हूं लेकिन मैं तुम्हें ऐसे बर्बाद होते हुए भी नहीं देख सकती थीं खुदा के लिए यहां से चले जाओ फरहाद मुझे एक ऐसे एहसास से मुब्तिला ना करो जो मैंने किया ही नहीं है तुम मेरी जरा सी गलती की मुझे इतनी बड़ी सजा नहीं दे सकते
लाहौर में जो भी हुआ वो चंद दिन का हसी मज़ाक मुझे तुमसे कुछ गर्ज थी कुछ काम निकलवाना था बस एक छोटी सी शरारत थी और कुछ नहीं अगर मुझे तुमसे कुछ लगाओ होता हमें तुमसे मिलती कुछ कहती कुछ बता कर तो आती फरहाद अपने आप को इस धोखे से निकालो तुम्हें सब कुछ साफ नजर आ जाएगा
और फरहाद गुस्से में माही को कहता है माना कि तुमने मुझसे कभी भी प्यार का इजहार नहीं क्या यह भी मान लिया कि वो सब तुम्हारे लिए एक खेल था मजाक था तुम मुझे एक बात बताओ माही मैं जब भी तुम्हें देखता हूं मेरा दिल जोर-जोर से क्यों धड़कता है यह क्यों मुझे चीफ चीफ कर बोलता है कि तुम ही हो जिसके बिना में एक पल नहीं रह सकता
और माही कहती है तुम्हें तो दिन में ख्वाब देखने की आदत है फरहाद तुम्हारे ख्वाब झूठे हैं हकीकत ये हैं तेमूर गौर से देखो इसे फरहाद ये तैमूर है मेरा मंगेतर मेरी पसंद मेरे ख्वाबों की तामिर यह बिहाने आ रहा है मुझे चंद दिन मै मेरे लिए आसमान से तारे तोड़ कर लाएगा और मेरे लिए जमीन पर महल बनाएगा और अपने ऊंचे खानदान का नाम देगा तुम क्या दे सकते हो मुझे इन सब के बदले फरहाद रो कर कहता है अपना दिल माही कहती है हजारों धड़कते हैं आसपास तब किसी के बिकते हैं ये जज्बात और वैसे भी अगर मुझे पाना था तो कोई नाम ओधा मर्तबा जागीर लेकर आते इस खाली नकारा मुफलिस दिल का क्या करना है मुझे मेरे मर्तबा को और मेरी शान को समझो फिर खुद को देखो एक तरफ तुम और दूसरी तरफ तैमूर देखो तुम्हें सब समझ आ जाएगा
फरहाद कहता है तुम सही कहती हो माही मैं आज तक तुम्हें समझ नहीं पाया तुम भी एक खुदगर्ज अमिरज़ादी निकली सही क्या तुमने आज अपनी पहचान करा दी मैं यहां से चला जाऊंगा माही तुम यहां दोगला नकाब पहने जमाने को धोखा देती रहो
फरहाद माही को बद्दुआ देता है ''लेकिन एक बात याद रखना आज तुमने एक मासूम दिल तोड़ा और इस दिल टूटने की गूंज तुम्हें उम्र भर सुनाई देती रहेगी जितना मैं तुम्हारे लिए तड़पा हूं जितना तुमने मुझे तड़पाया है तुम खुद भी उमर भर ताडपो एक खेल तुमने मेरे साथ खेला है जिंदगी भी तुम्हारे साथ कोई ऐसा ही खेल खेले पल पल तड़पो तुम और तुम्हें आराम नसीब ना हो और ये कह कर वहां से चला जाता हैं
इधर माही की शादी की तैयारी हो रही होती है उधर फरहाद की मौत की खबर आती है माही सुनकर परेशान हो जाती है और बेहोश हो जाती है ये बात फरहाद के घरवालों को पता चलती है उसके घर में भी मातम ( रोने) की आवाजे आने लगती है और उसकी मां का (फरहाद) रो-रो कर बुरा हाल हो जाता है
माही की बारात आती है लेकिन माही को बार-बर
फरहाद बद्दुआ याद आती है जब माही की बारात जा रही होती है तो कुछ गुंडे आकर तैमूर पर गोली चला देते हैं और तैमूर की मौत हो जाती है और माही के घर में भी शहनाई की गूंज मातम में बदल जाती है और माही तैमूर की बेवा हो जाती है
तैमूर की मां माही के घर वालों को तैमूर की मौत का जिम्मेदार मानती है और माही से गुस्सा रहती है वो माही को घर पर ही इद्दात पूरी करने के लिए कहती है और माही अपनी ससुराल मैं ही अपनी इद्दात करती है
तैमूर के बड़े भाई सिकंदर माही के घरवालों को तैमूर की मौत का जिम्मेदार नहीं मानते और माही के प्रति बहुत दयालु होते हैं सिकंदर साई को गाने वाली लड़की रोमाना से प्यार होता है और दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं जब रोमाना सिकंदर साईं के भाई की मौत का पता चलता है तो वो उनसे मिलने उनके घर पर आती है रोमाना और रोमाना की मां चंदा दोनों ट्रेन से मुल्तान के लिए रवाना हो जाते हैं
ट्रेन में रूमाना की मुलाकात फरहाद से होती है जब फरहाद का एक नया रूप देखने को मिलता है रोमाना की मां चंदा फरहाद पर चोरी का इल्जाम लगाती है रोमाना जब फरहाद का हाथ खोल कर देखती है तो उसमें एक तस्बीह होती है रूमाना यह देख कर अपनी मां चंदा को कहती है किसी शरीफ पर ऐसे इल्जाम नहीं लगाते यह बेचारा तो किस्मत का मारा हुआ लगता है
ट्रेन रुक जाती हैं अब फरहाद एक अज्ञात शहर में है जिसका कोई दोस्त और कोई परिवार नहीं है जो अपना सब कुछ छोडकर मुल्तान में एक मजार पे जाकर बैठ जाता है जहां उसकी मुलाकात बड़े फकीर (दरवेश) से होती है बड़े फकीर को इस सब के बारे में पहले से ही मालूम होता है कि फरहाद के जीवन में कितनी लड़कियों को फरहाद से प्यार हुआ अपने पड़ोसी से लेकर माही की नौकरानी (सजल) तक और अब मुल्तान की प्रमुख मालकिनो में से एक लेकिन फरहाद का दिल आज भी माही के लिए ही धड़कता है!
(5).का रिश्ता सिकंदर से
माही की अच्छाई को देखते हुए माही की सास (जागीरदारनी) भी माही की दीवानी हो जाती है और माही के घर वालों से सिकंदर से माही के रिश्ते की बात करती है और माही के घर वाले भी रिश्ते के लिए हां कर देते हैं क्योंकि नाजिम शाह मुल्तान में इलेक्शन लड़ने की तैयारी कर रहे होते हैं तो इसमें उन्हें सिकंदर की सपोर्ट की जरूरत होती है और इसमें माही से सिकंदर का रिश्ता बहुत अहमियत रखता है माही कि इद्दात के 40 दिन पूरे होने के बाद माही अपने घर जाने को कहती है और उसकी सांस भी उसे मना नहीं करती !
माही की सास माही को दुआ के लिए मजार पर ले जाती है जहां फरहाद फकीर के रूप में बैठा है और फकीरों में खेरात (परसाद) बांटती है मजार पहुंचकर माही की नजर फरहाद पर पड़ती है तो माही पर के हाथो से परसाद ( खेरात) गिर जाती है और माही बेहोश होकर जमीन पर गिर जाती है फरहाद भी माही को देखकर हैरान हो जाता हैं और वहां से उठ कर चला जाता है जब माही को होश आता है तो वो अपनी भाभी(साहिबा) को फरहाद के बारे में बताती है के वहा मजार पर जोगी (फकीर) बने बैठा फरहाद हैं जो अपना सब कुछ छोड़ कर मेरी मोहब्बत में मजार पर जोगी बना बैठा है साहिबा जब यह सुनती है तो वो भी चौक जाती है!
माही की सास बड़े फकीर को माही के लिए ताविज़ बनाने के लिए कहती है जिससे उसकी सारी परेशानियां दूर हो जाए
बड़े फ़कीर (दरवेश) फरहाद को ताविज देने के लिए कहते हैं और फरहाद ताविज लेकर माही के घर जाता है जब माही अपनी छत पर अपनी भाभी के साथ होती है तो उसकी नजर फरहाद पर पड़ती है और फरहाद माही को दोबारा देख कर अपने आप को संभाल नहीं पाता और ताबीज देकर वहां से चला जाता है और बड़े फकीर को आकर कहता है कि जब आपको सब कुछ पता था तो आपने मुझे वहां क्यों भेजा! बड़े फकीर कहते हैं कब तक भागोगे तुम कभी ना कभी तो तुम्हें मिलना ही था, फरहाद बड़े फकीर से कहता है कि वे उसे यहां से जाने की इजाजत दें मैं यहां नहीं रह सकता मैंने खुद को उसकी नजरों में मार दिया है
बड़े फकीर किसी काम के सिलसिले में बाहर चले जाते हैं और अपनी सारी जिम्मेदारियां फरहाद के ऊपर छोड़कर चले जाते हैं उधर रोमाना भी सिकंदर का शहर छोडकर कहीं दूर चली जाती है और सिकंदर रोमाना को ढूंढता है रोमाना फरहाद के पास दुआ कराने के लिए आती रहती है रोमाना को पता होता है कि ये भी किसी की मोहब्बत का मारा है!
माही से सिकंदर का रिश्ता हो जाने के बाद सिकंदर की मां बहुत खुश होती है और पूरे घर में मिठाई बांटती है लेकिन माही इस रिश्ते से खुश नहीं होते क्योंकि उसे भी फरहाद से मोहब्बत हो गई होती है लेकिन अपने घर की खुशियों के लिए माही अपनी खुशियां कुर्बान कर देती है माही फरहाद से मिलने के लिए मजार जाती है और फरहाद से माफी मांगती है और कहती है कि तुम्हारी बद्दुआ में कितना असर था और देखो कितनी जल्दी तुम्हारी बद्दुआ पूरी भी हो गई और तुमने अपना क्या हाल बना लिया है और उसे घर लौट जाने को कहती है
फरहाद कहता है काश इतना असर मेरी दुआओं में भी होता तुम कहो मर जाऊं तो मैं मर जाऊंगा लेकिन वापस जाने के लिए मत बोलो मैं घर से वादा करके आया था कि अगर आऊंगा तुम्हें साथ लेकर आऊंगा अब जब तुम ही नहीं तो घर जाकर क्या करना है मुझे अरे क्या मुंह दिखाऊंगा मैं अपने दोस्तों को!माही फरहाद को ताबीज देकर वहां से लोट जाती हैं
माही की सास (जागीरदारनी) अपने घर पर नियाज़ (दुआ) का इंतजाम करवाती है और मजार के फकीरों को बुलाती है क्योंकि अब बड़े फकीर की जगह फरहाद ले चुका था और फरहाद बड़े फकीर के काले कपड़े पहन कर माही की ससुराल जाता है वहां जाकर उसे पता चलता है की माही का रिश्ता तैमूर के बड़े भाई सिकंदर से हो गया यह सुनकर फरहाद हैरान हो जाता है सिकंदर की मां फरहाद को दुआ करने के लिए कहती है फरहाद दुआ करता है''मेरी दुआ है इन्हें किसी की बद्दुआ या नजर ना लगे यह हमेशा आबाद रहे,
तभी फरहाद को माही का भाई नाजिम शाह देख लेता है कि ये तो वो फरहाद जो हमारे यहां नौकरी करता था और यह तो ट्रेन हादसे में मर गया था नसीम शाह नूरे को पता लगाने के लिए कहता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो नौजवान लड़का एक मजार का मुजावर बन गया और उसके पीछे अपने आदमी लगा देता है
फरहाद की मां फरहाद की कब्र पर जाने को कहती है और सारे घर वाले पर फरहाद की कब्र पर जा रहे होते हैं तभी उन्हें रास्ते में एक मजार दिखता है फरहाद की मां कहती है कि मुझे अपने फीदी (फरहाद)के लिए मजार पर दुआ करनी है जहां उनकी मुलाकात फरहाद से होती है फरहाद के घरवाले फरहाद को जिंदा देख कर हैरान हो जाते हैं और फरहाद को घर जाने के लिए कहते हैं फरहाद कहता है कि बड़े फकीर मुझ पर जिम्मेदारी छोड़ कर गए हैं मैं ऐसे नहीं जा सकता मैंने कभी कोई जिम्मेदारी ली मैं उसे ऐसे अधूरा नहीं छोड़ सकता जब मेरा काम पूरा हो जाएगा तब मैं आ जाऊंगा फरहाद की बहन(फरिहा) को माही के और फरहाद के बारे में सब कुछ पता होता है फरिहा फरहाद से कहती है मुझे पता है आप किसके लिए ये सिया रंग पहने बैठे हो मेरी दुआ आपके साथ है और फरहाद के घरवाले वहां से चले जाते हैं
माही फरहाद से मिलने के लिए फिर मजार आती है! और उससे कहती है कि ये मेरी और तुम्हारी आखिरी मुलाकात है अब अपनी जिद छोड़ दो वापस घर लौट जाओ मैं तुम्हें ऐसे मरते हुए नहीं देख सकती और फरहाद मान जाता है लेकिन इन दोनों को बात करते हुए नुरा देख लेता और माही के भाई (नाजिम शाह) को सब कुछ बता देता है माही का भाई नाजिम शाह मजार पर फरहाद को मारने के लिए जाता है पर वो ऐसा नहीं करता क्योंकि वो जानता है कि अगर सारे शहर में पता चल गया तो हमारी इज्जत का क्या होगा और उसे जाने के लिए कहा है और माही के घर वालों को सब कुछ पता चल जाता है कि फरहाद ने उसी की मोहब्बत में आकर अपना ये हाल कर लिया है और माही भी उससे मोहब्बत करती है
तभी माही की खुशी के खातिर माही के घरवाले उसे फरहाद से मिलवाने के लिए तैयार हो जाते हैं मगर माही का भाई नाजिम शाह इस बात को कतई नहीं मानता सिकंदर रोमाना और उसकी मां इस बात के लिए राजी हो जाते हैं और उसे फरहाद से मिलवाने के लिए ले जा रहे होते हैं तभी नाजिमशाह आकर माही पर पिस्तौल (बंदूक) तान लेता है और कहता है अगर इसने हवेली के बाहर कदम भी रखा तो मैं इसकी जान ले लूंगा माही की वालिदा भी इस बात से हैरान थी कि नाजिम शाह अब अपनी बहन की जान लेगा और वो रो कर बड़े शाह के आगे हाथ जोड़ कर कहती है कि आज एक मजबूर मां अपनी बेटी की जिंदगी मांग रही है आपसे
सिकंदर और रोमाना की शादी हो जाती है और सिकंदर की मां को भी माही की इस बात से कोई एतराज नहीं होता है और माही को फरहाद से मिलाने के लिए ले आती है तभी माही की फरहाद पर नजर पड़ती है तो नम आंखों से रोने लगती है और फरहाद भी नम आंखों से हंसने लगता है
फरहाद समझता है कि माही अब भी उसके दिल की तड़प को नहीं समझ पा रही और कहता है अगर मेरे दिल की आवाज इतनी ही बेअसर है कि वो तुम्हारे दिल को छू भी नहीं सकती तो उसका मर जाना ही बेहतर है
आखिर में फरहाद की मौत हो जाती है फरहाद जोकि माही की मोहब्बत में इस तरह जानिसा
हो गया की उसके दिल में दुनिया की मोहब्बत के लिए कोई सरोकार नहीं रहा और यह कहता है 'दुनिया दिल लगाने की जगह नहीं है,, कैसे एक इंसान दुनिया की मोहब्बत पाते पाते अपने खुदा की मोहब्बत से जा मिला जिसके बाद तो उसे माही की मोहब्बत पाने की तमन्ना ही नहीं रही और फरहाद की मौत हो जाएगी जिसे देखकर माही के होश उड़ जाते हैं और वो फरहाद की मौत का सदमा सहन नहीं कर पाती। और माही की भी मृत्यु हो जाती है। इसी को तो कहते हैं खुदा और मोहब्बत!.
अब मौत से कह दो हमसे नाराजगी खत्म करें,
वो बहुत बदल गया जिसके लिए हम जिंदा थे,